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ठोस कूड़ा प्रबंधन से ‘कचरे से कंचन’ बना रहा वडोदरा का दुमाड गाँव

भारत न्यूज 1 अहमदाबाद

गाँव में गीला और सूखा कचरा एकत्र करने की अनूठी व्यवस्था

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कचरे से बनने वाली ऑर्गेनिक व ठोस खाद किसानों को वितरित की जाती है

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*बेलिंग मशीन से प्लास्टिक का वॉल्यूम कम कर ईंट-बेंच बनाए जाती हैं*

 

 

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में और उनकी प्रेरणा से देशभर में ता. 15 सितंबर से 2 अक्टूबर तक ‘स्वच्छता ही सेवा’ पखवाड़ा का आयोजन किया गया था। इस ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान को सफल बनाने और गुजरात को अधिक सुंदर एवं स्वच्छ राज्य बनाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में इस अभियान को जनभागीदारी द्वारा और दो महिने तक व्यापक रूप से चलाने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है। राज्य में ठोस कूड़ा प्रबंधन क्षेत्र में गाँवों में बेहतर कार्य हो रहा है। कम आबादी वाली ग्राम पंचायतों में यह कार्य सुचारु ढंग से किए जाने में सफलता मिलती है और इसका उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करती है वडोदरा की दुमाड ग्राम पंचायत।

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वडोदरा तहसील की दुमाड ग्राम पंचायत ठोस कूड़ा प्रबंधन क्षेत्र में ऐसा उत्कृष्ट कार्य कर रही है, जो राज्य के अन्य गाँवों के लिए भी प्रेरणादायी है। गाँव में सीएसआर तथा ‘कचरे से आज़ादी फ़ाउंडेशन’ द्वारा गत 1 अप्रैल, 2019 से यह कार्य शुरू किया गया था और अप्रैल-2021 से इस कार्य का बीड़ा ग्राम पंचायत ने उठा लिया है। तब से ग्राम पंचायत द्वारा आवंटित जगह में ठोस कूड़ा प्रबंधन का यह कार्य सुचारु रूप से किया जा रहा है तथा कामगारों को इसके लिए पारिश्रमिक का भी भुगतान किया जाता है। ठोस कूड़ा प्रबंधन के इस कार्य एवं स्वच्छता के मामले में लोगों का सहयोग मिले; इस उद्देश्य से जागरूकता के कार्य किए गए और लोगों को सूखे तथा गीले कचरे को अलग रखने की समझ दी गई। इससे ग्रामजनों में जागृति आई है। गाँव के हर घर के पास घरेलू स्तर पर गीले और सूखे कचरे का विभाजन किया जाता है और गाँव के1380 से अधिक परिवारों से गीला व सूखा कचरा एकत्रत किया जाता है।

गाँव में वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट द्वारा कूड़े से खाद बनाई जाती है।ग्राम पंचायत द्वारा एकत्रित कचरे में से गीले और सूखे कचरे का परिवहन भी अलग-अलग किया जाता है। इस कचरे को वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट पर लाया जाता है, जहाँ गीले कचरे को रॉकेट कम्पोस्टर में डाल कर उसमें बैक्टीरियल कल्चर का मिश्रण कर 30दिन रखा जाता है और फिर कम्पोस्ट पिट में भरा जाता है। इसके बाद कम्पोस्ट होकर तरल और सूखी खाद का निर्माण होता है। कम्पोस्ट पिट में तैयार हुई इस ऑर्गेनिक घन व तरल खाद को गाँव के किसानों में वितरित किया जाता है।ग्राम पंचायत द्वारा सूखे कचरे में से प्लास्टिक के कचरे को सात कैटेगरी में विभाजित किया जाता है। इस प्लास्टिक कचरे को बेलिंग मशीन में डाल कर उसका वॉल्यूम कम करके उसे आणंद तथा अहमदाबाद स्थित कंपनियों में भेजा जाता है, जहाँ इन कंपनियों द्वारा उससे ईंटें-बेंच तैयार की जाती हैं।

मिहिरकुमार शिकारी,गुजरात

Bharat News1
Author: Bharat News1

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