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गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भावनगरमे प्राकृतिक कृषि परिसंवाद में 551 किसान दम्पत्तियों के साथ किया संवाद

भारत न्यूज 1 अहमदाबाद

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भावनगर जिले के कणसार में त्रिवेणी कल्याण फाउंडेशन, ग्राम निर्माण समाज एवं ग्राम दक्षिणामूर्ति द्वारा आयोजित प्राकृतिक कृषि परिसंवाद में 551 किसान दम्पत्तियों के साथ संवाद किया। प्राकृतिक कृषि को प्रकृति के साथ जोड़ते हुए कहा कि जंगल में पनपते पेड़-पौधों और फल-फूल को किसी रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती है। कुदरती रूप से उनमें तमाम ऑर्गेनिक तत्वों की देन परमात्मा ने दी ही है। सम्पूर्ण प्राकृतिक तौर पर अगर यह वन सम्पदा फलफूल सकती है तो हमारे खेत में यह सब क्यों नहीं हो सकता।

किसान रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक खेती की ओर आने में हिचक रहे हैं इसका मुख्य कारण किसानों का यह भय है कि कृषि उत्पादन घट जाएगा। रासायनिक खेती में यूरिया, डीएपी और कीटनाशकों का बड़े पैमाने पर उपयोग करना होता है। यह बहुत खर्चीला है और जमीन का नुकसान भी करता है। जबकि प्राकृतिक खेती में मात्र गाय के गोबर और गौमूत्र द्वारा कम खर्च पर ज्यादा उत्पादन लिया जा सकता है। प्राकृतिक खेती से कृषि उत्पादन में कमी नहीं आती बल्कि उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होती है।

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प्राकृतिक खेती करने वाले दम्पत्तियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर प्राकृतिक कृषि उत्पाद प्रदर्शनी का निरीक्षण किया और खेत में हल भी चलाया।भावनगर जिले के कणसार में त्रिवेणी कल्याण फाउंडेशन, ग्राम निर्माण समाज एवं ग्राम दक्षिणामूर्ति द्वारा आयोजित प्राकृतिक कृषि परिसंवाद में 551 किसान दम्पत्तियों के साथ संवाद किया। प्राकृतिक कृषि को प्रकृति के साथ जोड़ते हुए कहा कि जंगल में पनपते पेड़-पौधों और फल-फूल को किसी रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती है। कुदरती रूप से उनमें तमाम ऑर्गेनिक तत्वों की देन परमात्मा ने दी ही है। सम्पूर्ण प्राकृतिक तौर पर अगर यह वन सम्पदा फलफूल सकती है तो हमारे खेत में यह सब क्यों नहीं हो सकता।

किसान रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक खेती की ओर आने में हिचक रहे हैं इसका मुख्य कारण किसानों का यह भय है कि कृषि उत्पादन घट जाएगा। रासायनिक खेती में यूरिया, डीएपी और कीटनाशकों का बड़े पैमाने पर उपयोग करना होता है। यह बहुत खर्चीला है और जमीन का नुकसान भी करता है। जबकि प्राकृतिक खेती में मात्र गाय के गोबर और गौमूत्र द्वारा कम खर्च पर ज्यादा उत्पादन लिया जा सकता है। प्राकृतिक खेती से कृषि उत्पादन में कमी नहीं आती बल्कि उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होती है। प्राकृतिक खेती करने वाले दम्पत्तियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर प्राकृतिक कृषि उत्पाद प्रदर्शनी का निरीक्षण किया और खेत में हल भी चलाया।

(मिहिरकुमार शिकारी गुजरात)

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Author: Bharat News1

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